इस्तिखारा क्या हे ?
इस्तखारा क्या है और उसका तरीका क्या है इस्तिखारा एक अरबी अब लफ्ज़ हे और इसका मतलब सलाह लेना होता है अल्लाह से सलह लेना मदद लेना जब इंसान को कोई काम होता है मसलन दुकान खोलना शादी करना किसी चीज के लिए बाहर सफर करना कोई दुकान मकान प्लॉट खरीदना या कुछ भी करना तो इस्तखारा करके आप अल्लाह से सलाह लेते हैं और इसकी मदद से सही काम चलते हैं होने वाले नुकसान से बचते हैं और अगर काम आपके हाथ में बेहतर नहीं तो उसका हमसे आप रुक जाते हैं या आप को रोक दिया जाता है इसका मतलब यह नहीं कि कोई साफ-साफ आपको ख्वाब दिखेगा या कोई आवाज सुनाई देगी जो आपको बताएगी यह काम आपके लिए सही है या गलत है ऐसा कुछ नहीं इस्तखारा सुन्नत तरीका यह है कि आप 2 रकात नमाज निफल सलातुल इस्तीखरा पढ़ें और उसके बाद एक सुन्नत दुआ है जो हुजूर पाक सल्ले अला अलेही वाले वसल्लम ने हमें सिखाइए उस दुआ को पढ़कर इंसान ए खुदा यह काम अगर मेरे लिए बेहतर है मेरे हक में बेहतर है तो इस पर मुझे राजी कर दे और मेरे लिए इस काम को आसान कर दे और अगर यह काम मेरे लिए बेहतर नहीं नुकसान के लिए है या इससे मुझे नुकसान पहुंचेगा तो अल्लाह आप इस काम से मुझे रोक दो और इससे मेरी हिफाजत अता फरमाए फिर अल्लाह ताला उस इंसान के दिल में या तो इस बात को डाल देता है कि यह काम आपके लिए बेहतर नहीं या फिर आप इस काम रुक जाएं या फिर अल्लाह ताला इस काम से आपको खुद रोक देते हैं जैसे कि आप उस काम के लिए निकल ना पाए या फिर किसी भी तरीके से आपके आगे रुकावट आ जाती है जिससे आप जा नहीं पाते हैं कभी-कभी ऐसा भी होता है के काम आपके लिए गलत हो और फिर भी वह काम आपका हो जाता है फिर लोग सोचते हैं यह काम तो मेरे लिए बेहतर नहीं था और मैंने इस्तिखारा भी किया था फिर भी अल्लाह ताला ने इस काम से मुझे रोका नहीं ना कोई इशारा दिया ना कोई जवाब दिया और यह काम हो गया इसकी वजह से मुझे नुकसान हो गया मगर आप जान ले ऐसा बिल्कुल भी सच नहीं अगर वह काम हो ही जाता है तो इस काम से बहुत बड़ा नुकसान जो आपको होने वाला था इस प्रकार की वजह से अल्लाह ताला छोटा सा ही नुकसान आपको हो पाता है और आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं यही इस्तखारा है और उसका यही सुन्नत तरीका है बाकी बहुत सारे इस्तिखारे समाज में मौजूद हैं जैसे की तस्वीर वाला जैसे कि ख्वाब बाला जैसे की पर्ची वाला जैसे कि नंबर वाला आप यह जान नहीं है कोई भी सुन्नत तरीका नहीं है सुन्नत तरीका सिर्फ 2 रकात नमाज पढ़कर दुआ इस्तखारा पढ़कर आप अपने लिए दुआ कर सकते हैं यही सुन्नत तरीका है जो हदीस से मिलता है बाकी और तरीके लोगों की इज़ात हुए तरीके हैं मैंने पूरी तरीके से गलत भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि अमलियात में कई सारी चीज रिसर्च पर मौजूद हैं जैसे की कोई दुआ पढ़ना कितनी बार पढ़ना दर्द के लिए पढ़ना किसी बीमारी के लिए पढ़ना यह सब बुजुर्गों ने तजुर्बे किए हैं और उनसे पता किया है यह तरीके भी सही हो सकते हैं अगर आपका अकीदा सही हो मसलन आप यह न सोचें कि की ये इस्तेखार से जो जवाब मिला है वह सही है हमारी तस्वीह सीधी तरफ हिल गई तो यह काम सही है उल्टी तरफ हिल गई तो यह काम गलत है गैब की बात अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता और ना ही यह किसी भी इस प्रकार से पता की जा सकती है बस इस जगह हम एक इशारा ले सकते हैं अगर लोग कि अकीदा कर ले कि यह सही है गलत है तो यह गुनाह है और गलत है ऐसा अकीदा बिल्कुल ना करें और सिर्फ और सिर्फ नुकसान और फायदे अल्लाह के हाथ में और किसी के दस्ते कुदरत में नहीं तो इस चीज से बचें और अपना यक़ीदा दुरुस्त करें!
इस्तिखारे का सही तरीका और सुन्नत तरीका
इस्तिखारे का सुन्नत तरीका आज हम आपको बताने जा रहे हैं कोई भी नेक इंसान जो नमाजी हो पांचों वक्त का पाक साफ होकर ईशा के बाद 2 रकात नमाज निफल सलातुल इस्तखारा की नियत करें पहली रकात में अल्हम्दु शरीफ के बाद कुल या अय्यूहल काफिरुन पढ़ें उसके बाद दूसरी रकात में अल्हम्दु शरीफ के बाद सूरह इखलास यानी कुल वल्लाह हूं अहद पढ़े और फिर मुकम्मल नमाज पढ़कर दुआ इस्तिखारा पड़े जो हम नीचे दे रहे हैं दुआ इस्तिखारा में जहां हजल अमर आएगा वहां आपको अल्लाह से दुआ करनी है अल्लाह जो हमारे हक में बेहतर हो दुनिया और आखिरत के लिए बेहतर हो जो समाज के लिए बेहतर हो वह चीज मेरे हक में कर दे और जिस चीज में नुकसान हो परेशानी हो जो दुनिया और आखिरत के लिए मेरे लिए ठीक ना हो वह चीज से मुझे रोक ले तो इंशाल्लाह अल्लाह पाक आप के हक में फैसला करेगा और आप उसका इशारा भी देगा ख्वाब के जरिए या फिर यह बात आपके दिल में डाल दी जाएगी कि यह काम आपके लिए ठीक नहीं या फिर उसका हमसे आप खुद ब खुद दूर हो जाएंगे यह तरीका वह है जो सुन्नत है जो हदीस से साबित है और जो सही तरीका है इस दुआ को पढ़ने के बाद आप को पाक साफ कमरे में अलग जगा लेट जाना है से बातचीत की इंशाल्लाह आपको इशारा मिल जाएगा ख्वाब के अंदर यह 1 दिन करें क्या 3 दिन करें या 7 दिन तक लगातार करें 7 दिन के अंदर आपका जवाब जरूर मिल जाएगा!
तस्वीह वाला इस्तिखारा
कुछ लोग जो बाबा सूफी टाइप के होते हैं उन्होंने कुछ अमल की जकात अदा की होती है या कुछ कुरान की सूरह या दुआ रोज उनके मामूर में शामिल होती है जिसे वह रोज पढ़ते हैं उसकी दुआ से उसकी बरकत से वह है एक् तस्वीह हाथ में पकड़ते हे और वह दुआ पढ़ना शुरू करते हैं जो उनके मामूली कि मैं रोज होती है उसके बरकत से वह तस्वीह या तो सीधी तरफ हिलने लगती है या उल्टी तरफ हिलने लगती है अगर सीधी तरह हिले तो समझ जाइए वही काम आपके लिए बेहतर है अगर उल्टी जरा पहले तो समझ जाइए वह काम आपके लिए बेहतर नहीं यह भी एक तरीका है जिसे लोग आजकल बहुत आसानी के साथ करते हैं और लोगों को फौरन जवाब दे देते हैं मगर हम इस तरीके को ना सही कहते हैं ना गलत कहते हैं क्योंकि यह सुन्नत तरीका नहीं है और बुजुर्गों का तरीका है इसलिए हम इसके खिलाफ भी नहीं और न इस के हक में हैं बेहतर ही है के आप सुन्नत तरीका अपनाएं जो हदीस से साबित है और गलत या गुना होने से बचें उम्मीद है आपको इस्तीफा रेखा सही तरीका समझ में आ गया होगा!
पर्ची वाला इस्तिखारा
इस तरीके में लोग 2 पर्ची लिखते हैं एक में सही लिखा होता है और एक में गलत या एक में हां या 1 में न इस तरीके को हम बिल्कुल गलत और तुक्के वाला तरीका कहते हैं जिससे सिर्फ ईमान खराब होता है वह बिल्कुल सही बात पता नहीं चलती इस तरीके में लोग कुछ पढ़ते हैं और उन पर्चियों पर दम करते हैं यानी फूँक मारते हैं और फिर इन्हें एक पानी के बर्तन में डाल देते हैं जिसमें कुछ देर बाद 1 पर्ची डूब जाती है और एक पर्ची ऊपर आ जाती है जो पर्ची ऊपर आ जाती है उसे खोल कर देख लेते हैं उसमे में जो जवाब लिखा होता है बोलो को पढ़ कर बता दिया जाता है ओके दिया जाता है यह आपके लिए गलत है या सही है हम इस तरीके को बिल्कुल सही नहीं मानते और यह गलत तरीका है ऐसे ही मान की खराबी होती है इससे हम लोगों को बचने की सलाह देते हैं
इल्म ए अदद से इस्तिखारा
इल्म इ अदद तरीका एक बहुत पुराना तरीका है यह किताबों में भी मिल जाता है इस तरीके में होता यह है कि आप अगर भूत जिन्न या किसी बीमारी से परेशान हैं तो झाड़-फूंक वाले आमिल इस तरीके को अपनाते हैं इसमें पहले मरीज के नाम के जो वर्ड होते हैं यानी अक्षर होते हैं एग्जांपल के लिए मान लीजिए A के २ अदद b के २ और c के ३ इन सारे नंबरों को जोड़ लिया जाता है और फिर उसे जो परेशानी है या जिस काम के लिए आया है उस परेशानी के नाम के अक्षरों को जोड़ लिया जाता है और उस दिन को जोड़ दिया जाता है और उस वक्त को जोड़ दिया जाता है अगर उन जोड़ों को जो भी कैलकुलेशन आती है उसमें से कुछ खास अक्षर माइनस या प्लस कर दिए जाते हैं और उसमें जो रिजल्ट आता है उसके हिसाब से जवाब दे दिया जाता है इसे इनमें अदद बोलते हैं यह बि ल्कुल भी सुन्नत तरीका नहीं यहां तक की इसके बारे में हुजूर पाक सल्ले अला अलेही वाले वसल्लम ने साफ फरमाया कि जिसने फिल्म इ नुज़ूम का एक हिस्सा सीखा तो उसने जादू का एक हिस्सा सीखा और जिसने पूरा इल्म इ नुज़ूम सीखा उसने पूरा जादू सीखा इल्म इ अदद सुन्नत के खिलाफ है और इसे हम बिल्कुल भी सही नहीं मानते नाम इसकी इजाजत देते हैं और ऐसे आमिल के पास जाना अपनी 40 दिन की इबादत बर्बाद करना है और इसकी बात पर यकीन करना कुफ्र हे यह बहुत बड़ा गुनाह है और इस पर यकीन करने वाला अपने ईमान से हाथ धो बैठता है इससे बचे अल्लाह से दुआ करें यहां में सही इल्म की रोशनी अता फरमाए और सही दिन सीखने और सिखाने का मौका अता फरमाए आज का यह इस प्रकार के बारे में मुकम्मल तरीका हमने बता दिया और सारी चीजें बता दी इंशाल्लाह आपको इससे बहुत कुछ सीखने को मिला होगा हमें सपोर्ट करिए लाइक करिए शेयर करिए आगे भी हम आपके लिए बहुत सारी पोस्ट लाते रहेंगे जो आपके काम की होंगी तो जने सीकर आप अपना ही मानो पैसा बचा सकते हैं जय हिंद
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